भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर की 134वीं जन्म जयंती पर रामेश्वरी वेगड़ बनीं रक्तदान करने वाली पहली महिला

सवांददाता मनोहर लाल पंवार
सवाउ मूलराज / परेऊ। डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती समारोह समिति ब्लॉक गिड़ा जिला बालोतरा,नवजीवन रक्तकोष फाउंडेशन बायतु द्वारा भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर की 134वीं जन्म जयंती कि पूर्व संध्या पर सवाऊ मूलराज गांव में आयोजित स्वेच्छिक रक्तदान शिविर में 46यूनिट ब्लड डोनेट किया गया । जिसमे एक यूनिट व एक अनोखी और प्रेरक घटना घटी। परेऊ गांव की बहू और मूलराज की बेटी रामेश्वरी वेगड़ ने न केवल रक्तदान किया, बल्कि महिला सशक्तिकरण की एक नई कहानी भी लिख दी। आमतौर पर ये माना जाता है कि महिलाओं व लड़कियों को सुई लगवाने से डर लगता है।
स्वेच्छिक रक्तदान शिविर में रामेश्वरी वेगड़ रक्तदान के प्रति उत्साह देखते ही बन रहा था। वे अपनी बारी का इंतजार किए बिना ही जल्द से जल्द रक्तदान करना चाह रहीं थीं। तब चेहरे पर खुशी और कुछ करने जज्बा साफ झलक रहा था। रक्त नाडिय़ों में बहे, नालियों और सड़कों पर नहीं….रक्तदान जीवनदान…कुछ ऐसे ही संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने और अधिक से अधिक जीवन को बचाने के लिए नवजीवन रक्तकोष फाउंडेशन बायतु सदैव तत्पर रहता है।
रक्तदान से बदली सोच, जागरूकता का दीप जला
14 अप्रैल को, जब उन्होंने रक्तदान किया, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति ने तालियों से उनका स्वागत किया। उनके साहसिक कदम ने न केवल महिलाओं की सोच बदली, बल्कि गांव में जागरूकता की एक नई लहर भी पैदा की। उनके इस कदम को देखकर कई महिलाओं ने कहा, अगर रामेश्वरी कर सकती है, तो हम क्यों नहीं ?"
समिति से मिली प्रेरणा, समाज सेवा बनी ज़िंदगी का मकसद रामेश्वरी वेगड़ मारवाड़ जागृति महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समिति लिमिटेड, परेऊ में कार्यकारिणी सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि समिति के माध्यम से वे और उनकी साथी महिलाएं समाज में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने हेतु निरंतर कार्य कर रही हैं। यहीं से महिलाओं के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। रक्तदान जैसी छोटी दिखने वाली बात, असल में समाज में बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है। हमें बाबा साहेब से यही सीख मिलती है कि हिम्मत और हक की राह पर चलो, चाहे कितनी भी रुकावटें क्यों न आएं, उन्होंने कहा।
दूसरों का जीवन बचाने के लिए आगे आई रामेश्वरी वेगड़
रामेश्वरी वेगड़ ने बताया कि मैंने ग्रुप में देखा तो महिलाओं का नाम लिस्ट में नहीं था... तो मैंने ठान लिया कि रक्तदान सूची में एक भी महिला का नाम नहीं है, तो मेरे मन में सवाल उठा बाबा साहेब ने महिलाओं के लिए इतना कुछ किया, क्या हम उनके लिए एक बूंद खून भी नहीं दे सकते?" यही सोच मेरे को शिविर तक खींच लाई। डराने वाले तर्क आए, समाज की परंपराएँ सामने आईं, लेकिन उन्होंने सबको विनम्रता से जवाब दिया और कहा, "महिलाएं अब डरेंगी नहीं, मिसाल बनेंगी।"
समाज को मिला एक नया संदेश
रामेश्वरी वेगड़ का यह कार्य बाबासाहेब अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने यह दिखा दिया कि महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में न केवल बराबर हैं, बल्कि नेतृत्व देने की क्षमता भी रखती हैं।
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