एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मौलिन्नोंग पहुंचे सरपंच हंसराज गोदारा लीलाला

Feb 26, 2024 - 14:33
Feb 27, 2024 - 09:22
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एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मौलिन्नोंग पहुंचे सरपंच हंसराज गोदारा लीलाला

मेघालय अध्ययन यात्रा पर गए प्रदेश के जनप्रतिनिधियों ने अपनी अपनी पंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर सबसे साफ पंचायत बनाने का लिया संकल्प

संवाददाता मनोहर लाल पंवार 

बायतु। मेघालय अध्ययन यात्रा पर गए प्रदेश के चयनित 25 जन प्रतिनिधी मेघालय के शिलांग में वहां की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। यहां चल रहे पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सरपंच हंसराज गोदारा लीलाला सहित प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों ने एशिया महाद्वीप के सबसे स्वच्छ गांव मौलिन्नोंग का दौरा किया। सरपंच हंसराज गोदारा लीलाला ने बताया कि मौलिन्नोंग मेघालय राज्य के पूर्व खासी हिल्स ज़िले में स्थित एक गाँव है। मौलिन्नोंग पिनुर्स्ला सामुदायिक विकास खंड और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्दर आता है। सरपंच हंसराज गोदारा गोदारा लीलाला ने बताया कि मौलिन्नोंग को इसकी स्वच्छता के लिए जाना जाता है। यहां बेकार सामान को बाँस से बने कचरा पात्रों में डाला जाता है और इसको एक गड्डे में डालकर उसकी खाद तैयार की जाती है। ट्रेवल पत्रिका डिस्कवर इंडिया ने इस गांव को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया था। पहाड़ों की वादियों में बसा मौलिन्नोंग गांव खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से भरा हुआ है। यहां पर झील, झरने, पहाड़ और हरियाली है, जो कि यहां आने वाले लोगों को बरबस ही अपनी ओर खीचतीं है। वहीं, यहां की साफ-सफाई इसकी सुंदरता की रौनक और भी बढ़ा देती है। यही वजह है कि यदि कोई व्यक्ति यहां पर भ्रमण के लिए भी पहुंचता है, तो वह भी साफ-सफाई को लेकर अधिक ध्यान रखता है। राजस्थान से गए जनप्रतिनिधियों ने भी इस गांव की साफ सफाई अभियान से सीख लेकर अपनी अपनी पंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर सबसे साफ पंचायत बनाने का संकल्प लिया।

 बेटों की जगह बेटी को बनाते हैं उत्तराधिकारी, प्लास्टिक का नहीं करते उपयोग

 मौलिन्नोंग में रहने वाले अधिकतर लोग खासी समुदाय के हैं। खासी लोगों की परम्परा के अनुसार मौलिन्नोंग में सम्पत्ति और धन दौलत माँ अपनी सबसे बड़ी पुत्री को देती है और वह अपनी माँ का उपनाम आगे बढ़ाती है। यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिसमें मुख्यतः सुपारी की फसल उगाई जाती है। गांव के लोग पर्यावरण को लेकर काफी गंभीर हैं। यहां के लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल भी नहीं करते हैं। इसके साथ ही खुले में शौच भी नहीं करते हैं। यहां के हर घर में शौचालय की सुविधा है, जिससे यहां खुले में शौच की पंरपरा नहीं है।

 घोंट से गांव में बेहतर मैनेजमेंट से ले रहै आमदनी

 इस गांव की कुल जनसंख्या 560 है जिसमें कुल 162 परिवार निवास करते हैं। उनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि पर आधारित है। इसके अलावा इस गांव में आने वाले पर्यटकों के लिए भी इन्होंने घरों में होमस्टे की व्यवस्था कर रखी है। जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है। गांव के हैडमैन द्वारा इस गांव के दर्शनीय स्थलों पर भी पार्किंग सहित दुकानों एवं अन्य व्यापारिक संस्थानों पर टैक्स की व्यवस्था कर रखी है। जिससे गांव की निजी आय का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा किया जाता है और उसे वापस गांव की ही सुख सुविधाओं एवं पर्यटकों को आधारभूत व्यवस्थाएं प्रदान करने में खर्च किया जाता है। इस गांव में कुल 20 लोगों की समिति बनी हुई है जिसका मुखिया गांव का हैडमैन होता है। यह समिति प्रतिवाद में सफाई कर्मचारी तय करती है। जिन्हें गांव अपनी निजी आय से प्रति महीना तनख्वाह प्रदान करता है। गांव में हैंडीक्राफ्ट का भी बड़ा बाजार बनाया गया है। जहां पर्यटक अपनी इच्छा अनुसार खरीदारी कर सकते हैं। गांव में बेहतरीन विद्यालय, जल संरक्षण हेतु ऐनिकट एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई नए मकानों का निर्माण किया गया है। मै मेरी ग्राम पंचायत सभी विधालयो कचरा संग्रहण लगवाउगा जिसे बच्चों के अन्दर कचरा नहीं फेलाने की भावना हो , जिसे बडे होकर गांव साफ रखेंगे। सरपंच

हंसराज गोदारा लीलाला अध्यक्ष बायतु बालोतरा 

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