पंजाब के राजनीतिक आंदोलन में सात सांसदों का निलंबन: INDIA ब्लॉक का हंगामा और सीएसडी कानूनों पर हरदिलाज़बाज़ विचार!
पंजाब में सात सांसदों के निलंबन ने राजनीतिक दृष्टिकोण को हिला दिया है। INDIA ब्लॉक के प्रदर्शन, कॉन्ग्रेस की खलबली और सीएसडी कानूनों के विवाद पर चर्चा करें। हरसिमरत बादल जैसे बीजेपी नेताओं के साथ पंजाब की राजनीतिक स्थिति में बदलाव को समझें।

पंजाब में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल में, सात लोकसभा सांसदों का निलंबन हो गया है, जो सभी INDIA ब्लॉक से संबंधित हैं। सदन की प्रक्रिया में अव्यवस्था के कारण हुआ यह अनूठा कदम, जिसने प्रदेश की राजनीतिक मानचित्र में गहरी उछाल पैदा किया है। इस हंगामे के बीच, एक वरिष्ठ ऐसीडी नेता ने कांग्रेस के खिलाफ अपना विरोध जताया, लेकिन स्पष्ट किया कि सुखबीर बदाल जैसे प्रमुख नेता संसद में मौजूद नहीं थे।
निलंबित सांसदों में शामिल हैं AAP के जालंधर से सांसद सुशील कुमार रिंकू और पंजाब के छह कॉन्ग्रेस सांसद, जिनमें मनीष तिवारी, गुरजीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू, मोहम्मद सादिक, जसबीर सिंह गिल, डॉ. अमर सिंह शामिल हैं। रोचक है कि इसमें कांग्रेस के पटियाला सांसद प्रिनीत कौर भी शामिल हैं, जिन्हें कुछ महीने पहले "एंटी-पार्टी" गतिविधियों के लिए निलंबित किया गया था। उनके पति और पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद, उन्होंने पटियाला में बीजेपी की बैठकों में भी भाग लिया था।
प्रिनीत ने लोकसभा नैतिक समिति के छह सदस्यों में से एक भी थीं, जिन्होंने दावा किया था कि वे तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की अयोग्यता की सिफारिश करने के लिए समिति को सुझाव दिया था। उन्होंने उस रिपोर्ट के समर्थन में वोट किया था जिसने उनकी अयोग्यता की सिफारिश की थी। उन्होंने लोकसभा में INDIA ब्लॉक के प्रतिवाद में भी भाग नहीं लिया।
पंजाब के पांच और सांसद जिन्होंने निलंबन से बचने के लिए विपक्षियों के साथ तालमेल बनाए रखा, में से चार बीजेपी के हैं, जिनमें सनी देओल, सोम पारकाश, हरसिमरत बादल और सुखबीर बादल शामिल हैं। सीएसडी कानूनों के मुद्दे पर विवादास्पद बयानबाजी करते हुए, हरसिमरत बादल ने विरोधी सदस्यों की अनुपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हुए पंजाब के युवाओं की चिंता को बढ़ावा दिया। उन्होंने इतिहासिक मुद्दों का हवाला देते हुए बांदी सिंघों की जारी क़ैद पर सवाल उठाए।
सिमरंजीत सिंह मान ने विरोधी सदस्यों के अनुपस्थिति में बिलों पर चर्चा को "अलोकतांत्रिक" बताया और उनके समर्थन में केवल जब चर्चा होने की सिफारिश की। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यालय को संसद की दृष्टि में लाने का सुझाव दिया।
पंजाब के राजनीतिक दृष्टिकोण की इस बदलती तस्वीर में सात सांसदों के निलंबन ने क्षेत्रीय राजनीति के जटिल गुणधर्मों को प्रमोट किया है। INDIA ब्लॉक के प्रदर्शनों, कॉन्ग्रेस के विरोध और कुंजीय बिलों पर उठे सवालों के साथ, पंजाब की राजनीतिक स्थिति का निरूपयोगी विकास हो रहा है।
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