पिता सिपाही,एक बेटा सब इंस्पेक्टर, दूसरा बेटा शारीरिक शिक्षक व बेटी प्रयोगशाला सहायक के पद पर
यशवंत पंवार की महज 22 वर्ष की उम्र में इतने बड़े पद की सफलता हासिल की है,हाल ही में SI-ITBP में चयन हुआ है।
संवाददाता मनोहर लाल पंवार
बायतु। विधानसभा क्षेत्र के ओपोणियो की ढाणी ,नया गांव ,ग्राम पंचायत नगोणियों धतरवालों की ढाणी के स्वर्गीय जुगताराम पंवार ( रेलवे जमेदार ) परिवार की कहानी है। आपको बता दे कि स्वं जुगताराम पंवार व धर्मपत्नी तारों देवी के बड़ा बेटा मोटाराम पंवार शिक्षा विभाग में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बायतु में वरिष्ठ अध्यापक के पद कार्यरत हैं। इनका दूसरा बेटा नेनाराम पंवार असम में हैड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत व तीसरा बेटा दमाराम एक किसान है ओर दो बेटी पम्पो व सुगनी है।
1.स्वर्गीय जुगताराम पंवार( रेलवे जमेदार ), 2. मोटाराम पंवार वरिष्ठ अध्यापक व नेनाराम पंवार देश का सिपाही ,दोनों भाई, 3.सविता पंवार,
4. मनीष पंवार शारीरिक शिक्षक अपने माता पिता के साथ, 5. डॉ कविता पंवार अपने माता पिता के साथ
अब बता देते सिपाही परिवार के बारे में
परिवार में कुल छः सदस्य है जिसमें नेनाराम पंवार केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल विभाग में हैड कांस्टेबल व धर्मपत्नी ज्योति गृहिणी है,बड़ी बेटी डाॅ कविता पंवार शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक व छोटी बेटी सविता पंवार ने M.Com,B.ED.तक पढ़ाई की आगे सरकारी परीक्षाओं की तैयारियां कर रही है,बड़ा बेटा मनिष पंवार शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षक व छोटा बेटा यशवंत पंवार आईटीबीपी विभाग में सब इंस्पेक्टर है।
पिता के लिए उनके बच्चों का उन्हीं की मेहनत और प्रयासों का परिणाम देखना बहुत ही गर्व की बात होती है। जब वे अपने सीने पर सिपाही के रूप में छोटे पद पर काम करते हैं और उनके बच्चे उनसे ऊंचे पदों पर काम करते हैं, तो यह एक अद्वितीय और संतोषजनक अनुभव होता है।
यह गर्व की बात है क्योंकि वे अपने बच्चों को समझदारी, संघर्ष और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। उन्होंने अपने बच्चों को सहायता, मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया है ताकि वे अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
इससे न केवल पिता को, बल्कि पूरे परिवार को भी गर्व होता है क्योंकि उन्होंने बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा, संघर्ष करने की क्षमता, और समाज में उपयोगी नागरिक बनने की सीख दी है।
एक सिपाही पिता की संघर्ष भरी कहानी
सिपाही पिता की संघर्षपूर्ण कहानियाँ अक्सर बहुत प्रेरणादायक होती हैं। वे अपने देश की सेवा में अपनी जान को खतरे में डालते हैं, और उनका संघर्ष अनगिनत कठिनाइयों से भरा होता है। यहां एक संघर्षपूर्ण कहानी है:
एक सिपाही पिता था जो अपने देश की सेवा में समर्पित था। उसके पास अपने परिवार को पालने के लिए सिर्फ थोड़ी सी सैलरी थी। वह अक्सर संघर्षों का सामना करते रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। एक दिन वह सफलता हासिल करके परिवार व गांव का नाम रोशन किया।
बहुत मेहनत करके खुद को बाहर निकाला। उनकी साहसी और परिश्रमी दृष्टि ने लोगों के दिलों में बड़ी आदर्श बनाई।
यह सिपाही पिता की कहानी हर किसी को बताने लायक है, जो समर्पण, साहस, और दृढ़ संकल्प से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। उनका संघर्ष और समर्पण हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में अगर हम निरंतर प्रयास करते रहे तो हार नहीं सकते हैं।
यह बहुत ही गर्व की बात है कि आपके परिवार में हर किसी ने अपने क्षेत्र में महान काम किया है। आपके पिताजी की सेवा,आपके दोनों भाइयों की प्रशिक्षण व कार्य और आपकी बहन का सहायक प्रयोगशाला में काम, ये सब व्यक्तिगत सफलता का अद्भुत उदाहरण हैं।
हर कोई अपने क्षेत्र में उच्चतम स्तर पर काम कर रहा है, और वे सभी अपने द्वारा किए गए काम से समाज में उपयोगी हैं। पिता की सेवा और समर्पण ने बच्चों को भी प्रेरित किया है कि वे भी अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर बढ़ें।
आपके परिवार में सभी का यह संगठन और नैतिकता का अद्भुत उदाहरण है। उनका संघर्ष, समर्थन, और समर्पण ने सभी को एक नई दिशा दी है। यह सबकुछ देखकर अपने परिवार का मान समझाने वाली बहुत बड़ी बात है।
समाज के युवाओं के लिए एक संदेश
आओ इन परिवार से कुछ सिख ले
सेवा और समर्पण: पिता नेनाराम पंवार एक सीईएसएफ में हैड कांस्टेबल के पद पर असम राज्य में सेवाएं दे रहे है। सेवा और समर्पण ने दिखाया है कि वह देश की सेवा में किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार हैं। इससे समाज को यह संदेश मिलता है कि सेवा करना और समर्पण दिखाना किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
व्यक्तिगत सफलता: हर व्यक्ति का अपने चयनित क्षेत्र में महान काम करने का अधिकार होता है। आपके परिवार के सदस्यों की प्रत्येक की अपनी-अपनी पहचान है, और वे अपने क्षेत्र में शिखर पर पहुंचने के लिए समर्थ हैं। यह उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता है।
परिवारिक साझेदारी: यह दिखाता है कि परिवार की सदस्यों के बीच साझेदारी और समर्थन होना कितना महत्वपूर्ण होता है। वे एक दूसरे के साथ मिलकर समृद्धि और सफलता की ओर बढ़ने में मदद करते हैं।
जिम्मेदारी और सहायता: डॉ कविता पंवार में बेटी का योगदान भी दिखाता है कि महिलाएं भी हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अभी डाॅ पंवार शिक्षा के क्षेत्र में जिला बालोतरा मुख्यालय पर एक राजकीय बालिका काॅलेज में प्रयोगशाला सहायक पद पर कार्य करके नई पीढ़ियों को शिक्षित कर रही हैं।
सिपाही नेनाराम पंवार ने कहां तक शिक्षा व ड्यूटी कहा कहां तक की।
घर चार पांच किलोमीटर दूर डेली पैदल जाकर शिक्षा प्राप्त की।
5 वीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय धारासर से
8 वीं राजकीय उच्च उच्च प्राथमिक विद्यालय बायतु भीमजी से
10-12 वीं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बायतु स्टेशन से
B.Com - राजकीय महाविद्यालय बाड़मेर से
इसके बाद वर्ष 1994 में सीईएसएफ भर्ती में चयन हुआ।
केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल विभाग में 17 साल तक CISF प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षक के तौर पर प्रशिक्षितों को प्रशिक्षण दिया।
इसके बाद में ओडिशा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडू, छत्तीसगढ़,असम, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान सहित कई राज्यों में देश के लिए 29 सालों से सेवाएं दी और दे रहे है।
डॉ कविता पंवार ने कहां तक शिक्षा प्राप्त की।
10-12 वीं तक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय, सेक्टर -3 रोहिनी दिल्ली से की,
BDS- नायर डेंटल काॅलेज मुम्बई से BDS डाॅक्टर की डिग्री प्राप्त की।
अभी शिक्षा विभागमें डीडवानिया रामीदेवी जसराज जी राजकीय कन्या महाविद्यालय बालोतरा में प्रयोगशाला सहायक पद पर कार्यरत है।
मनीष पंवार ने कहा तक शिक्षा प्राप्त की
10-12 वीं केन्द्रीय विद्यालय,सेक्टर-3 रोहिनी दिल्ली से
BA -दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजस्थानी काॅलेज से
BPED - भारत माता काॅलेज कोटा राजस्थान से
हाल ही शिक्षा विभाग में राजकीय प्राथमिक विद्यालय उभरे का सुराली,पं.स.रामसर,जिला बाडमेर में शारीरिक शिक्षक पद का कार्यभार संभाला है।
यशवंत पंवार ने कहा तक शिक्षा प्राप्त की
10-12 वीं केन्द्रीय विद्यालय सेक्टर-3 रोहिनी दिल्ली से
BA- दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजस्थानी काॅलेज से
महज 22 वर्ष की उम्र में इतने बड़े पद की सफलता हासिल की है। हाल ही में SI -ITBP में चयन हुआ है।
इस समय आईटीबीपी विभाग में ITBP Central Training Centre Alwar Rajasthan में प्रशिक्षण कर रहे हैं।
इस परिवार की कहानी से समाज को साथीत्व, सहायता, समर्थन, और सेवा की महत्ता का अहम संदेश मिलता है। यह बताता है कि हर किसी की महत्ता है और हर कोई अपने अनुभवों और क्षमताओं का समुचित उपयोग कर समाज के लिए योगदान कर सकता है।