महात्मा ज्योतिबा फुले: एक महान समाज-सुधारक
महात्मा ज्योतिबा फुले: भारतीय इतिहास के महान समाज-सुधारक की जीवनी, उनके सामाजिक कार्यों और योगदान के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं के साथ। जानें उनके जन्म, शिक्षा, और उनके समाज में समानता और न्याय की प्रेरणादायक कहानी को।

महात्मा ज्योतिबा फुले: एक महान समाज-सुधारक
महात्मा गांधी से पहले देश में एक ऐसे महान समाज-सुधारक पैदा हुए, जिन्होंने छुआछूत, अशिक्षा, सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने और किसानों की स्थिति सुधारने और समाज में महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने का उल्लेखनीय काम किया। उनका नाम था- महात्मा ज्योतिबा फुले। महात्मा ज्योतिबा फुले को 19वी सदी का प्रमुख समाज सेवक माना जाता है। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे में माली परिवार में हुआ। 24 सितंबर 1873 को दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा फुले ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया। 28 नवम्बर 1890 को ज्योतिबा फुले ने इस संसार को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
महात्मा ज्योतिबा फुले, जिन्हें भारतीय इतिहास में एक महान समाज-सुधारक के रूप में माना जाता है, ने महत्वपूर्ण योगदान किया जो समाज में छुआछूत, अशिक्षा, और सामाजिक अनैतिकता के खिलाफ था। उन्होंने किसानों की स्थिति में सुधार के लिए और समाज में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रमुख पहल की।
मुख्य प्रमुख बिंदुएं:
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जन्म और परिवार: महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका परिवार माली जाति से था, जो समाज में नीचे वर्ग में आता था।
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शिक्षा का आलम: ज्योतिबा फुले को अपनी जीवन में शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे हासिल किया और समाज में शिक्षा के महत्व की बात की।
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सत्यशोधक समाज: 1873 में, ज्योतिबा फुले ने दलितों और निर्बल वर्ग के अधिकारों की रक्षा करने के लिए 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की। इस संस्था ने समाज में न्याय और समानता की बातें फैलाई।
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शिक्षा का प्रचार-प्रसार: महात्मा ज्योतिबा फुले ने और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में पहले लड़कियों के लिए स्कूल स्थापित किया।
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लेखन और रचनाएँ: महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए मराठी में लेखन किया। उनके प्रमुख रचनाओं में 'गुलामगिरी' और 'शेतकर्याचा आसुद' शामिल हैं।
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अंतिम समय: महात्मा ज्योतिबा फुले का आकास्मिक यात्रा समाप्त हुआ 28 नवम्बर 1890 को। उनका योगदान आज भी समाज सुधार और समाज में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण है।
महात्मा ज्योतिबा फुले के संघर्ष और समर्पण ने भारतीय समाज को एक नये दृष्टिकोण की दिशा में मोड़ने में मदद की, और उनका योगदान समाज में अधिक समानता और न्याय की प्रेरणा से याद किया जाता है।
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