शहीद दीपाराम सुथार के नारों से गुंज उठा गांव , बलिदान दिवस पर रक्तदान एवं श्रद्धांजलि समारोह का हुआ आयोजन

1971 के भारत-पाक युद्ध में, जब देश को एक सच्चे संकट का सामना करना था, तब दीपाराम ने अपने युवा हृदय से एक ऐसा संकल्प लिया जो देश को आज़ादी की ओर बढ़ने में मदद करेगा।

Dec 7, 2023 - 19:09
Dec 7, 2023 - 20:03
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शहीद दीपाराम सुथार के नारों से गुंज उठा गांव , बलिदान दिवस पर रक्तदान एवं श्रद्धांजलि समारोह का हुआ आयोजन

संवाददाता मनोहर लाल पंवार

गिड़ा । वीरों की भूमि बायतु विधानसभा क्षेत्र के गिड़ा तहसील के सणतरा गांव में शहीद दीपाराम सुथार ने सर्वोच्च बलिदान देकर न सिर्फ बाड़मेर-बालोतरा अपितु भारत देश का भी नाम रोशन किया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना का सामना करते हुए अपने स्वयं को इस देश के लिए समर्पित करने वाले शहीद दीपाराम समूचे देश के गौरव है। शहीद दीपाराम सुथार के 52 वें शहादत दिवस पर एक नाम शहीदों के नाम पर भजन संध्या 6 दिसंबर की रात्रि को आयोजित की गई तथा 7 दिसंबर की सुबह रक्तदान शिविर एवं श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ श्री श्री 1008 महंत ओकार भारती के पावन सानिध्य में भजन संध्या के साथ प्रारंभ हुआ एवं अगले दिन शहादत दिवस 7 दिसंबर को रक्तदान शिविर आयोजित किया गया एवं शहीद दीपालन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। शहीद दीपाराम की बटालियन सिग्नल कोर के सेना अधिकारी एवं उनकी टीम द्वारा शहीद की प्रतिमा को माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। सिग्नल कोर बटालियन  लेह लद्दाख से पधारे सूबेदार सुरजीत सिंह व हवलदार गजेन्द्र सिंह ने शहीद दीपाराम प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए। सूबेदार सुरजीत सिंह व हवलदार गजेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया कर व शहीद प्रतिमा पर माल्यार्पण व श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की विधिवत रूप शुरुआत की। तथा अमर शहीद दीपाराम सुथार की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए दैनिक जीवन की कार्यशैली एवं शहीद दीपाराम की शौर्य गाथा से उपस्थित ग्रामीणों को रूबरू कराया। तथा यहां के नौजवानों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। सैनिकों की जगह से ही हमारा देश सुरक्षित है, हमारे देश के सैनिकों और हमेशा देश का सीना चौड़ा किया है। कि शहीद दीपाराम की पूजा लेह लद्दाख की वादियों में भी भारतीय सेना द्वारा की जाती है और शहीद दीपाराम का बलिदान सदियों तक देश याद रखेगा। ज्ञात रहे 1971 के भारत-पाक युद्ध में बाड़मेर के 10 वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया था। बायतु क्षेत्र के भारत माता वीर सपूत थे।

रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन

सर्वप्रथम हवलदार गजेन्द्र सिंह ने रक्तदान कर रक्तदान शिविर की शुरुआत की तथा रक्तदाताओं ने 30 यूनिट रक्तदान कर शहीद दीपाराम सुथार को सच्ची श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा के बाद विधिवत रूप से शिविर का शुभारंभ किया गया। नवजीवन रक्तकोष फाउंडेशन बायतु के संयोजक शहीद मंसूरी व मनोहर लाल पंवार के तत्वावधान में रक्तदान शिविर का आयोजन किया। राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर से रक्तदान मेडिकल टीम के डॉक्टर रवि गोयल के नेतृत्व में सफल संचालन किया तथा रक्तदान टीम से धर्मनारायण,शिवलाल बोस का सहयोग रहा। जिसमें कुल 30 तक वीरों ने रक्तदान कर शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि दी। रक्तवीरों को  सर्टिफिकेट व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। स्कदान शिविर में नवजीवन रक्तकोष फाउंडेशन बायतु टीम द्वारा सराहनीय सेवाओं के लिए आयोजन कमेटी एवं शहीद के परिजनों ने आभार व्यक्त किया।

  शहीद के नाम पर विभिन्न रखी मांगे 

शहीद दीपाराम के नाम पर विद्यालय का नाम रखा जाए व शहीद के नाम पर मार्ग व गांव इत्यादि सरकारी दफ्तरों पर शहीद दीपाराम के नाम किया जाए शहीद दीपाराम के पैतृक गांव संतरा के मुख्य चौराहे पर  प्रतिमा है शहीद के बेटे सवाई राम ने बताया की मेरे पिताजी ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी जिससे हम गर्व महसूस कर रहे है यदि गांव में शहीद के नाम का विद्यालय बनता है तो उसमें पढ़ने वाले हर विद्यार्थीयों के दिल में देश भक्ति एवं मातृभूमि की रक्षा का जज्बा पैदा होगा। 

गांव में शहीद के नाम पर क्या-क्या होना चाहिए 

गांव में शहीद के नाम पर कई तरह की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचानें बना सकती हैं, जो उनके समर्पण और बलिदान को समर्थन दिखाएं। यह एक गर्वनिमित तरीका हो सकता है जिससे गांववालों को उनके योगदान का समर्थन मिले।

शहीद स्मारक या स्थल: एक शहीद स्मारक या स्थल की स्थापना करें, जो गांव के लोगों को शहीद के साहस और समर्पण की याद दिलाए।

शहीद की पुस्तकालय: गांव में एक पुस्तकालय बनाएं जिसमें शहीद के जीवन और उनके योगदान पर विशेषज्ञ लेख, पुस्तकें और जानकारी हो।

शहीद का चित्रशाला: एक चित्रशाला बनाएं जो शहीद के जीवन के कुछ पलों को दिखाएं और उनके समर्पण की कहानी सुनाएं।

शहीद जयंती और स्मृति समारोह: हर वर्ष शहीद की जयंती पर और शहीदी दिवस पर गांव में स्मृति समारोह आयोजित करें जिसमें गांववालों को एक साथ आने का और शहीद के योगदान की महत्वपूर्णता का महसूस हो।

शहीद के नाम पर स्कालरशिप योजना: गांव में एक शहीद के नाम पर स्कालरशिप योजना शुरू करें जो उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करेगी।

शहीद के नाम पर सामुदायिक सेवा केंद्र: एक सामुदायिक सेवा केंद्र बनाएं जो शहीद के नाम पर सेवाएं प्रदान करे, जैसे कि मुफ्त चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, और अन्य समृद्धि कार्यक्रम।

शहीद के नाम पर विशेष कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम: गांव में शहीद की स्मृति में विशेष कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें जो उनके समर्पण को दर्शाएं।

इन बिंदुओं पर गांव में शहीद के नाम पर विभिन्न पहचानें बना सकते हैं जो उनके सेवा और बलिदान की महत्वपूर्णता को साझा करती हैं।

शहीद की प्रतिमाएं आज भी प्रेरणादायी है

लेह लद्दाख,जम्मू कश्मीर से शहीद दीपाराम के पैतृक गांव सणतरा पहुंचे सूबेदार सुरजीत सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि शहीद दीपाराम की हमारी बटालियन के कार्यक्षेत्र में लगभग 15 स्मारक स्थापित है जो हमें देश की सेवा के लिए एवं हरदम तैयार रहने के लिए प्रेरित करती है हमारे दिन की शुरुआत शहीद दीपाराम की प्रतिमा को नमन करते हुए शुरू होता है हमारे कार्य क्षेत्र में हर जवान के लिए शहीद दीपाराम का शौर्य एवं प्राक्रम प्रेरणादायक है इस दौरान सूबेदार अपने इस अनुभव को साझा करते हुए अपनी अंतरात्मा से भावुक नजर आए। तथा कहां की हम शहीद दीपाराम को दीपु भाईया के नाम से भी पुकारते है।

करणी सेना अध्यक्ष को दी श्रद्धांजलि

 संतरा गांव ग्रामीणों ने कहा कि गोगामेड़ी के हत्यारों को कटी कटी सजा हो ताकि आने वालों भविष्य में हर कोई ऐसी दिन दहाड़े घटनाएं न हो सके। बता दें कि मंगलवार को राजपूत करणी सेना के राष्ट्र्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की नृशंस हत्या कर दी गई थी। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की उनके घर में ही तीन बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गंभीर हालत में सुखदेव सिंह को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी। इसलिए शहीद दीपाराम सुथार के श्रद्धांजलि समारोह पर गोगामेड़ी की शोक व्यक्त कर ग्रामीणों ने फोटो पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। तथा संतरा गांव के ग्रामीणों ने कहा कि गोगामेड़ी के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा हो ताकि आने वालों भविष्य में हर कोई ऐसी दिन दहाड़े घटनाएं न हो सके।

कार्यक्रम में यह रहे मौजूद 

सिग्नल कोर बटालियन के सूबेदार सुरजीत सिंह व हवलदार गजेन्द्र सिंह ,श्री 1008 महंत ओंकार भारती मठाधीश परेऊ, उम्मेदाराम बेनीवाल रालोपा नेता, शहीद दीपाराम के पुत्र सवाई राम, भतीज लसा राम, भाई बुद्धाराम, पौत्र भरत सुथार विरम सहित सैकड़ों ग्रामीण इस श्रद्धांजलि समारोह में उपस्थित रहे एवं देवाराम चौधरी ( इंडियन आर्मी ) का मंच संचालन करने में विशेष महत्वपूर्ण भूमिका रही । तथा शहीद परिवार ने ग्रामीणों एवं उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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