द डेजर्ट पब्लिक स्कूल कानोड़ का भव्य शुभारम्भ कार्यक्रम में कहा नैतिक शिक्षा आज की पहली जरूरत- सतीश कुमार लेघा

संवाददाता मनोहर लाल पंवार
बायतु । आज हम जहां जिस रूप में भी हैं उसका श्रेय हमारे गुरुजनों को ही जाता है। नैतिक शिक्षा तो बालक अपने परिवार से सीख लेता था। जब वह गुरुकुल में आता था है तो उसे व्यवहारिक शिक्षा का भी ज्ञान होता है। लेकिन समय और आवश्यकता के हिसाब से शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन आया है। नैतिक शिक्षा आज की प्रथम आवश्यकता बन गई है।वही कहा कि महात्मा गांधी ने कहा कि सत्य केवल शब्दों की सत्यता ही नहीं बल्कि विचारों की सत्यता भी है और हमारी अवधारणा का सापेक्षिक सत्य ही नहीं है बल्कि निरपेक्ष सत्य भी है। हमारे अस्तित्व का एकमात्र औचित्य हमारी समस्त गतिविधि सत्य पर केन्द्रित होनी चाहिए। क्योंकि सत्य के बिना व्यक्ति अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता ।यह बात कानोड़ पीईईओ सतीश कुमार लेघा ने द डेजर्ट पब्लिक स्कूल कानोड़ के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।वही इस अवसर पर सीबीईईओ किशनदान चारण ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जो आज अध्यापकों में शुरुआती जोश ,जुनून है ,उसको लगाता र बनाये रखे।बच्चे का सपना होता है कि वह पढ़-लिखकर जीवन में आगे बढ़ेगा तथा विभिन्न क्षेत्रों में अपना करियर बनाएगा। इसके लिए सबसे पहले यह विचार करो कि हमें किस फील्ड में अपना कैरियर बनाना है तथा उसी को ध्यान में रखकर मेहनत करते हुए जीवन में आगे बढ़ो। आगे बढऩे के लिए सबसे पहले दिमाग में सोच आना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखें तथा उसकी प्राप्ति के लिए मेहनत करें, सफलता अपने आप मिलेगी।वही इस अवसर पर खोजेन्द्र देवपाल ने कहा कि सपनों को साकार करने के लिए मेहनत की आवश्यकता होती हैं।जो सपने रात को नींद में आते हैं,वो अपने काम के नही।जो सपने होते हैं वो अपने को नींद भी नही आने देते हैं।
वही कहा कि बालक अध्यापक व परिजनों के बीच प्रेमभाव का रिश्ता रखना बहुत ही जरूरी है।इस अवसर पर देरावरसिंह,गेनाराम सऊ,देवाराम गोदारा,डाउराम, देवाराम पालीवाल सहित ग्रामीणजन,अभिभावक सहित मौजूद रहे।
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